18.7.12

सावन के रंग






26 comments:

  1. पहली फोटो तो मुग्ध कर गयी..

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  2. धान और मदार....
    सुन्दर
    अनु

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  3. वही तो
    पहली इसीलिये
    मुग्ध करने के
    लिये लगा रखी है
    तीसरी को ताकी
    ना देखे कोई
    जिसमें कली मुँह
    खोल के अपना
    सबको चिढा़ रही है ।

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    1. बहुत सुंदर सुंदर फोटो खींच के आये हैं
      पाण्डेय जी धान की रोपती दिखाये हैं
      मदार की खिलती कलियों से कुछ
      बातें वाते भी शायद कर के आये हैं ।

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    2. ज्यामिति का यह पाठ है, या खेलों का ट्रैक ।

      पथ मैराथन रेस का, एक वर्ष का पैक ।

      एक वर्ष का पैक, स्वेद-जल से यह लथ-पथ ।

      बड़े खड़े वे पेड़, देखते अपना स्वारथ ।

      भाग-दौड़ का खेल, लड़े कुदरत से कुश्ती ।

      तब पावें भरपेट, करें थोड़ी सी मस्ती ।।

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  4. कितना आनंद है प्रकृति के करीब रहने का ......!

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    1. प्रकृति के करीब तो घंटे आध घंटे ही रह पाता हूँ।

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  5. अंतिम फोटो को बनारस का विशेष आग्रह मान रहा हूं :)

    शुरू के दोनों फोटो सुंदर हैं पर उन्हें देख कर याद आया कि एफ.सी.आई. के गोदामों के बाहर खुले मैदानों में सड़ रही धान की हजारों / लाखों बोरियों से पता चलता है कि सरकार भी सावन की अंधी होती है यानि कि उसे बारहों महीना हरा हर सूझता है !

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    1. बनारस का विशेष आग्रह!..सही कहा आपने, यही होगा।

      सावन में मदार की खिलती कलियाँ भी 'बोल बम' कहती हैं।

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  6. बहुत दिन बाद धान की ये पौध देखने को मिली....काश ! इसे रोपती ,गाती स्त्रियाँ भी दिखा देते :-)

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    1. रोपती, गाती स्त्रियाँ तो मैने भी नहीं देखी। 'मदर इंडिया' फिर से देखनी पड़ेगी।

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    2. मैंने अपने बचपन में गाँव में खूब देखी हैं,पर तब ब्लॉगर नहीं था...!

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  7. अनुशासित, व्‍यवस्थित कृषक कर्म और जीवन.

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  8. धान के खेत, और उनमे इतना पानी ...बरसों बीते देखे हुए !
    अच्छी तस्वीरें !

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  9. वाह मन हरिया गया

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  10. देवेन्द्र पाण्डेय जी यू पी के गाँव में जाकर देख सकते हैं धान लगाती स्त्रियाँ यहाँ तक कि श्रीनगर कश्मीर में भी ये नज़ारे पिछले महीने मुझे देखने को मिले पर अफ़सोस बंद गाड़ी में होने के कारण फोटो नहीं ले सकी
    बहुत ही सुन्दर चित्र हैं अंतिम चित्र के पौधे को हम आख का पौधा कहते हैं जो दवाई के काम आता है सभी चित्र सुन्दर हैं

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    1. धान लगाती तो दिखती हैं, गाती नहीं दिखतीं। संतोष जी रोपती, गाती स्त्रियाँ लिखे हैं।:)
      सुंदर कमेंट के लिए आभार।

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    2. पांडेयजी,यह बात किससे कही है...?

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  11. धान का पौधों को देख सच में लगा सावन आ गया ..कभी खूब रोपते थे धान के पौधे अब तो .सावन देखने को भी तरस गए हैं..
    बहुत बढ़िया प्रस्तुति

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  12. हरियाली ने भर दिये, सावन में सब रंग।
    धान लगाये खेत में, हमने मिलकर संग।।

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  13. सुन्दर फोटो ....तीसरा वाला बहुत शानदार आया है ।

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  14. फोटोज की सिमिट्री बता रही है -- आप कुशल फोटोग्राफर बन चुके हैं .
    शानदार चित्र !

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    1. धन्यवाद। आपकी प्रशंसा से अधिक खुशी मिली। आपके दिये टिप्स को याद कर एक फोटू खींची है। लगाउंगा दो एक रोज में।

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  15. Vaah ... Savan ke mast rang .. Aur aakde ke fool ... Bade din baad dekhne ko mile ...

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  16. बहुत ही खबूसूरत फोटो खींचे हैं, पहला फोटो तो घंटो तक देखने का दिल कर रहा है... इतनी देर देखा लेकिन दिल ही नहीं भरा....

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